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Posted in Hindi Love Poetry Romantic

कशिश

ये बहती हुई सर्द हवाओं की साज़िश है,
तेरी बाँहों में आने की गुज़ारिश है।

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Posted in Hindi Love Poetry Sad

तन्हाई

न तुम हो, न मैं हूँ। फिर कैसी ये चाहतें है।
तेरे न होने की कैसी ये शिकायतें हैं।

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नया मोड़

ज़िन्दगी का ये नया मोड़ बहुत ही सुहाना सा लगने लगा था। तुम्हारे पास आकर , फिर से खुद से जुड़ने लगा था। तुमसे मिलकर अब सब कुछ भूलने भी लगा था। तुम्हारी पनाहों में हमेशा रहने की दुआ करने लगा था। मैं बदलने लगा था।

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Posted in Hindi Love Sad

ज़ख्म

आज भी दिल ख़ुश नहीं है, शायद तुम मिल जाओ तो भी शायद जख्म गहरे और बेहिसाब हैं, इन आँखों की नमी आज भी याद है मुझे पिछली शाम की तरह। दिल में आज भी दर्द हो उठता है तेरी बातें होती हैं जब। क्यों तेरी गलियों में घूमने को दिल आज भी बेचैन है, क्यों तेरे बारे में सब कुछ जानने को बेताब है, क्यों ये तुझसे आज भी प्यार करता है ?

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सनम

नींद खुली और तुम मेरी बांहों में थी, निर्वस्त्र। तुम्हारे चेहरे पर आती ज़ुल्फ़ों की महक साँसों में घुलने लगी, तुम्हारे करीब आकर जुल्फें हटाकर तुम्हारा कमनीय चेहरा देखा, बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। रेशम से बाल मेरी उँगलियों में से फिसल गए। तुम्हे अपनी ओर खींचा और तुम्हारे रुखसारों पर अपने होंठ रख दिए, चूमता ही रहा तुम्हे धीमे से।

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आवरण

तुम्हारे साथ उस प्रेम दिवस के शामोत्सव में मुझे पिछली रात की याद हो आई, और होठों पर अनायास ही मुस्कान उभर आयी, तुम्हारे हाथ थामे जैसे छोड़ने का मन ही नहीं हो रहा था,

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निगाहें

कैसे कह दूँ , क्या है मेरे इस दिल में , कहूँ भी न और तुम समझ जाओ। बिना मिले , बिना देखे , बिना सुने मेरी साँसे पढ़ जाओ। कभी किसी से कहा नहीं पर तुमसे कहना चाहता हूँ। पता नहीं तुम समझोगी या नहीं ?

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भेंट

तुमने मेरे अंदर कॉफ़ी शॉप में जाने के लिए दरवाज़ा खोला । तुम्हारी कातिलाना मुस्कान, जो की तुम मुझे बार बार मार रहे थे । बोलते हुए तुम्हारे गालों पर डिंपल पड़ रहे थे , मैं तुम्हे देखकर हैरान थी । ऐसा सुन्दर चेहरा, कैसे कोई नहीं रीझा तुम पर या ये कोई चाल है ?

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अपराजिता

तुम्हारे मेरे मिलने का सिलसिला चलता रहा, मेरी शामें हसीन और रातें रंगीन हो गयी । हर सुबह तुम्हारा चेहरा देखे बिना लगता ही नहीं था जैसे सवेरा हुआ हो । तुम्हें अपने आगोश में भर कर, तुम्हारे होठों को छू कर मेरी हर सुबह में तुमने अपनी रूह की जो महक मेरे मन में छोड़ दी थी

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खुशी

इंदु सास की मन से सेवा करती फिर भी दिल नहीं जीत पायी । उनके लिए उनकी प्यारी बहु सुमित्रा ही थी । कई साल गुज़र गए । बच्चे बड़े होने लगे । इंदु को अब अपने खून की कमी खलने लगी । कभी कभी दिल बहलाने के लिए बच्चों को ममता भरी नज़रों से देख लेती थी ।