करार

आज पता नहीं क्यों तुम्हारी बहुत याद आ रही है। वो भी क्या दिन थे, जब भी मैं तुमसे कहता था की तुम्हे मिस करता हूँ और तुम, चंद घंटो में मुझसे मिलने के लिए बेताब दौड़ी चली आती थी। तुम्हारा कितना इंतज़ार किया मैंने, उससे भी ज्यादा प्यार किया तुझसे , फिर क्यों आज मैं अकेला सा हूँ इस कहानी में।

मेरा नाम है अंशुमान। आज मैं अपने दिल की छोटी सी प्रेम कहानी सुनाना चाहता हूँ। मेरी जान का नाम है परिधि। आज भी वो मेरे हर एक दिल की धड़कन में उसी तरह बसी है जैसे पहले थी, पर अब वो मेरे साथ नहीं है। मैं कह तो नहीं सकता की कभी उसे पाउँगा या नहीं, पर अब वो मेरी नहीं है, मेरी नहीं है। शायद अब कभी हो भी नहीं सकती, पर यही आस लिए ज़िंदा हूँ , कि शायद खुदा का कोई करम मुझ पर हो जाये और गलती से ही सही वो मुझको मिल जाये।

पर ये दिल है न, अभी भी उसे मेरा ही मानता है , इस दिल को कोई और भाया नहीं, उसके सिवा शायद मेरी ज़िन्दगी में कोई आएगा भी नहीं। पर वो रब से मेरे लिए दुआ करती है, की मुझे उससे अच्छा कोई साथी मिल जाये। पगली है , शायद जानती नहीं है प्यार करता था उससे , करता रहूँगा यूँ ही हमेशा उसी से, इस क़दर की अब जीना भी मुझे उसके बिना निरर्थक सा लगता है।

हमेशा मेरे साथ रहने वाली परिधि मेरी न हो सकेगी ऐसा कभी मैंने सोचा ही नहीं था। मेरी तो वो उसी दिन हो गयी थी जब मैंने उसका हाथ थामा था, उसकी बाँहों में, उसकी खुशबू मुझे अभी तक रुला जाती है। इस दुनिया को क्या कहानी सुनाना चाहता था मैं, अपने प्यार की, किस क़दर बेपनाह मोहब्बत करता था, की दुनिया को बता सकूँ , मेरा इश्क़, मेरा प्यार, मेरी परिधि सबसे अलग है, कुछ भी कर सकता हूँ तुम्हारे लिए, पर शायद दुनिया तो क्या इस दिल तक को नहीं बता पाया कि कितना टूट कर इश्क़ करता था तुझसे। कितना याद करता हूँ तुझे , कितना बेचैन रहता हूँ, तेरी आवाज़ सुनने के लिए कैसा तड़पता रहता हूँ तेरी सोहबत के लिए।

आँखों से अविरल आंसू बहते हैं , नींदें तब इश्क़ में उड़ी थी और अब तेरे न होने से रूठी हैं। तब तेरे संग ख्वाबों का नया आशियाना था और अब तेरे न होने का गम। सपनों में ही सही अब मैं तेरे साथ को जी लेता हूँ। एक कसक सी उठती है सीने में, क्यों मैं खुदा से भी तुझे छीन नहीं सकता, क्यों तू भी मज़बूर है, क्या झूठा था तेरा प्यार ? तेरी आँखें जो तेरे सच्चे इश्क़ की गवाही देती थी , मेरे एक फ़ोन न उठने पर कैसी व्याकुल हो उठती थी, मेरी इतनी परवाह करती थी वो परिधि कैसे किसी और की हो सकती है?

कुछ दिन तो मर जाना चाहता हूँ , ये दुनिया की शोहरत, ये धन दौलत , ये गाड़ी , ये चाहत , ये सबकुछ व्यर्थ लगता है। सब मेरा चेहरा पढ़ लेते हैं और तेरी आहटों की ये जो कमी हैं हर तरफ यूँ ही बिखरी है तेरी जुल्फों की तरह मुझपर , जब मेरे सीने पर सर रख कर तुम आगोश में मेरी, मुझे कसकर पकड़ें अपनी बाँहों में, सोती थी। तुम्हारे होठों की लालिमा, वो रात भर तेरे तन की गर्माहट, तेरे रुखसारों की वो नरम मखमली सी त्वचा पर मेरी ये उँगलियाँ ऐसे फिसल जाती थी जैसे रुक गयी तो ये पलकें उठेंगी और इन नज़रों में से तेरे प्यार की बरसात मुझे फिर से तेरी रूह में तर बतर कर देंगी ।

भीग जाना चाहता हूँ, तेरे इश्क़ में फिर से। तेरे होठों को चूमना चाहता हूँ, तुझे फिर से प्यार करना चाहता हूँ , अपना बनाना चाहता हूँ पर बेबस हूँ। आजकल कहीं मन नहीं लगता, बहुत कोशिश करता हूँ की किसी को कह पाऊं , अपनी ये प्रेम कहानी सुना पाऊं , एक छोटा सा ही सही ज़िक्र कर पाऊं। पर नहीं कर पाता , करूं भी कैसे ? अधूरी सी है मेरी ये कहानी। कभी कभी किसी पिक्चर में इश्क़ देखता हूँ तो तुम्हारी याद आने लगती है , तुम्हारे हाथ थामे, मेरे कंधे पर सर टिकाये तुम जब स्क्रीन पर देखती थी और मैं बेहताशा बस तुम्हे देखा करता था ,कितनी खूबसूरत थी तुम, तुम अपने हाथों से मेरा चेहरा घुमा देती थी , पर तुम्हारे सिवा कुछ अच्छा तब भी नहीं लगता था न अब लगता है।

सबकी प्रेम कहानी मुकम्मल हुई मुझे छोड़ कर , ज्यादा इश्क़ दुःखदायी होता है , मेरा तो कभी पूरा ही नहीं हुआ। तुम्हारे साथ जो सपने देखे थे अकेले पूरा कर रहा हूँ , पर कोई ख़ुशी नहीं है , खो सा गया हूँ , जिन्दा हूँ बस की शायद किसी रोज़ मुझे खुशी मिले वैसे ही जैसे मैंने चाहा था , परिधि के हाथों में , परिधि की साँसों में , आखिरी दम भी तुझसे प्यार करते ही निकलेगा शायद।

कह भी नहीं पाता की कहाँ से शुरू करूं, कैसे बताऊँ ये छोटी सी कहानी , की आँख भर आती है , दिल चीत्कार कर उठता है, सिर्फ एक तेरा ही चेहरा ढूंढता है हर किसी में हर कहीं , की तू ही आकर मेरी ये कहानी सुना दे , की तू ही आकर मुझे ये पता दे की मेरा दिल आजकल नदारद क्यों है , की मेरा इश्क़ सच्चा था या नहीं , की मेरा प्यार प्यार था या नहीं।

आज फिर से आकर मेरे कानों में अपनी हसीन आवाज़ घोल दे, मुझसे कह दे वही शब्द जिन्हे सुनने के लिए कबसे बेक़रार हूँ , “अंशुमान मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। मैं तुम्हारे बिना अब नहीं रह सकती।” और उसी तरह आकर मेरी बाहों में हमेशा के लिए मेरी हो जाओ। एक बार के लिए ही सही ये झूठा सपना सच कर जाओ।

Author: Onesha

She is the funny one! Has flair for drama, loves to write when happy! You might hate her first story, but maybe you’ll like the next. She is the master of words, but believes actions speak louder than words. 1sha Rastogi, founder of 1shablog.com.

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