क्या तुमसे इश्क़ हो जाना खुद ब खुद मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी ? क्यों आज भी दिल तुम्हे भूल नहीं पाया, कितने ही लोग आकर चले गए, तेरी याद उसी तरह दिल में छपी है जैसे वर्षों पहले थी।
क्यों तुम्हे भूल पाना नामुमकिन सा है, क्यों ये दिल आज भी तरसता है तुम्हारे लिए, क्यों आज भी धड़कने थम सी जाती है तुम्हारा अक्स आस पास भी होता है तो, क्यों तुम्हे देखने की ख़्वाहिश आज भी उसी तरह जवां है जैसे पहले हुआ करती थी।
क्यों ये दिल आज भी तुम्हे महसूस करके उदास हो जाता है। कैसी है ये तुम्हारी याद, जब भी आती है तबाही मचा जाती है। क्यों तुमसे इतना प्यार है, क्यों तुम्हारी यादें कल की तरह आज भी ताज़ा है इतने वर्षों बाद भी। क्यों नहीं इनपर समय का सितम हो जाता, कोई मिटा दे तुझे मेरे मन से। कोई भी ऐसा शख्स नहीं मिला जो तेरा नाम इन सुर्ख दीवारों से हटा पाया हो।
आज भी दिल ख़ुश नहीं है, शायद तुम मिल जाओ तो भी शायद जख्म गहरे और बेहिसाब हैं, इन आँखों की नमी आज भी याद है मुझे पिछली शाम की तरह। दिल में आज भी दर्द हो उठता है तेरी बातें होती हैं जब। क्यों तेरी गलियों में घूमने को दिल आज भी बेचैन है, क्यों तेरे बारे में सब कुछ जानने को बेताब है, क्यों ये तुझसे आज भी प्यार करता है ?
मैंने सोचा नहीं था, पहला इश्क़ तुमसे होगा, और इस क़दर होगा की दिल कभी उबर नहीं पायेगा, जीवनभर इसी तरह तुम्हारे लिए तड़पता रहेगा। बहुत समझाया खुद को पर आज भी कोई मुझसे पूछता है दिल में कौन है तो तुम्हारा नाम, तेरा चेहरा आँखों के सामने घूम जाता है।
थोड़े से ही हसीन पलो को संजो कर जीवन भर तेरी यादों के पिंजरे में कैद हूँ , जिस दिन सोचती हूँ अब आजाद हूँ उसी दिन एक और जाल सज जाता है कैदखाने में। ये लफ्ज़ कह ही नहीं पाते, मेरे नैन सह ही नहीं पाते।कभी इससे पहले खुद को इतना मजबूर , इतना कमजोर होते नहीं देखा मैंने।
दिल और दिमाग की समझ से परे ये कैसे जज़्बात है जो वर्षों से ऐसे के ऐसे ही हैं, क्यों हैं ये, मेरे पास कोई उत्तर क्यों नहीं है, कैसे तुम्हे हमेशा के लिए दिल से निकाल दूँ। निकल ही नहीं पायी कभी उस एहसास से, तुम क्यों आज भी ज़िंदा हो मुझमे, मीलों दूर जाकर देख लिया, तुझसे हमेशा के लिए नाता तोड़ के देख लिया, क्यों आज भी तेरी याद साया बनकर संग चलती हैं।
हर जगह ढूंढ़ा कहीं से इन जज़्बातों को तर्क मिल जाये, तुझसे प्रेम हो जाने की वजह मिल जाये, जला दूँ पूरी दुनिया की मुझे अपने सारे सवालों के उत्तर मिल जाये आखिर तुमसे ही क्यों इसने लगन लगाई, क्यों तुम्हे ही चुना, क्यों तुम मेरे जीवन में आये, क्यों जब तुम्हे ठहरना ही नहीं था तो क्यों तुम मेरे जीवन में आये ? आकर चले क्यों नहीं गए, क्यों हर वक़्त तुम्हारी याद दिलाने के लिए कोई न कोई ऐसी बात हो जाती है, की समय रूपी रेत के पहाड़ों में दबे ये एहसास फिर से साँस ले उठते हैं।
क्यों मेरी हर दुआ में मैंने तुम्हे ही माँगा, क्यों हर प्राथना में, क्यों हर सुबह उठते ही, हर रात सोने से पहले तुम्हे सोचा मैंने, क्यों मैंने इतना टूट के प्रेम किया तुमसे, क्यों तुमने ठुकरा दिया मुझे, क्यों नहीं तुम समझ पाए मेरा ये बेहद गहरा लगाव, क्यों तुम्हे ये सब झूठ लगता था?
कभी तुमसे कह नहीं पायी बेपनाह मोहब्बत की थी तुमसे, मुझसे ज्यादा कोई कभी इश्क़ नहीं करेगा तुमसे, सात जन्म कम पड़ जाये इतना बेशुमार प्यार करती थी, उस वक़्त भी और आज भी करती हूँ। इतना करती हूँ की शायद दुनिया की सभी रस्मों से परे, तुम्हे पाने की चाहत भी ख़त्म सी हो चुकी है। तुम जहाँ भी रहो खुश रहो पर मुझे अपने इन यादों के, साये से बाहर कर दो। सपने में भी नहीं सोचा कभी मैंने मुझे तुम्हारे सिवा किसी और को सोच सकूँगी।
गुज़ारिश है तुमसे ये, कभी मत मिलना मुझसे, तेरी यादों के सहारे ही जीवन काट लूंगी, तुझे नज़र भर देख कर ही दिल को बहला लूंगी, तुझसे कभी कोई उम्मीद नहीं रखूँगी, दूर से ही तुझे तख कर अपने दिल में बसा के रखूँगी , मेरे प्यार पर शायद कभी भरोसा न हो तुझे , कभी जता नहीं पायी कितने खुशी के किस्से थे तुम्हारे मेरे, मेरे लिए, तुम्हारे लिए कभी कुछ नहीं थी मैं। थोड़ा सा ही सही जगह दे देते अपनी ज़िन्दगी में उसी में खुश हो जाती मैं।
दिल बोझिल है, तेरे यादें अब और नहीं सही जाती, तुझसे समापन चाहता है, अब और नहीं होता, इस एहसास का अब अंत चाहता है, सदा के लिए तुझसे दूर जाना चाहता है, भूल जाना चाहता है तुझे, हो जाने दो इसे खत्म, मुझे अब और नहीं रहना तेरे कैदखाने में, और नहीं रोना तुझे खोने के डर से, और नहीं होना तेरे करीब कभी भी नहीं।
मुझे कभी भी प्यार न हो, तुझसे कभी मेरी मुलाक़ात न हो, तेरे मेरे जो भी कर्म है इसी जीवन में सब चुक जाये, मेरा कभी भी तुझसे कोई वास्ता न हो। खुदा से दिल से दुआ है कि तेरे मेरा जो भी नाता है सब, हमेशा के लिए अजनबी हो जाये, खुदा से सारी दुआएं वापस माँगती हूँ, जहाँ जहाँ तेरी यादें लेकर गयी वहां से वापस आना चाहती हूँ, उन नमी भरी रातों को दुबारा सोना चाहती हूँ, इतने वर्षों में जो खो दिया उसे दुबारा पाना चाहती हूँ, फिर से जीना चाहती हूँ, खुश होना चाहती हूँ। अपने लिए , खुद के लिए , अब खुद से इश्क़ करना चाहती हूँ।