खुद ही तुमसे प्यार करके, खुद ही दूर हो गया । तुम्हारे अंदर प्यार जगा कर तुम्हें छोड़ दिया मैंने । इससे बड़ी आत्मग्लानि क्या हो सकती थी की तुम मुझे चाहती भी नहीं थी और मैंने कितनी मन्नतों से मनाया था तुम्हें । मुझे लगता था मैं जीवन भर यूँ ही चाहूँगा तुम्हें, दिल की गहराइयों से, मेरे दिल में तुम्हारे लिए कभी प्यार खत्म नहीं होगा , चाहे तुम मुझे छोड़ भी दो तब भी ये प्यार निरंतर बढ़ता ही जाएगा ।
एक साल तक इंतज़ार किया तुम्हारी हाँ सुनने के लिए । तुमसे हाँ सुनने को कितना बेताब था मैं , कोई कसर नहीं छोड़ी थी मैंने तुम्हे अपना बनाने की, तुम ही थी मेरे दिल में बचपन से, और मरते दम तक सिर्फ तुम ही थी , मैंने किसी को नहीं देखा , किसी को नहीं चुना तुम्हारे सिवा । तुम मेरे लिए ही बनी हो, और मैं , मैं सिर्फ तुम्हारा ही हूँ ,था और रहूँगा ।
उस दिन की बेसब्री मुझे आज भी याद है जिस दिन तुमने मुझसे कहा था
“अतुल मेरा दिल मत तोड़ना, बहुत भरोसा किया है तुम पर।”
मेरी आँखों से आँसू छलक आये थे, की तुमने मुझे एक मौका तो दिया । मैं कभी तुम्हारा दिल नहीं तोड़ सकता । मेरे लफ्ज़ जैसे उस दिन क़ैद हो गये थे । शायद लफ़्ज़ों को एहसास था, आभास था इस बात का कि एक दिन मेरे ही हाथों ये दिल टूटना भी लिखा है ।
मैंने तुम्हारे पास आने के लिए एक क्षण की भी देरी नहीं करी, पहली उड़ान भर कर तुम्हारे पास आया, और तुम मेरे लिए फूलों का गुलदस्ता लिए इंतज़ार कर रही थी , वो लाल लाल गुलाब । तुम्हें देख कर घुटनों पर बैठ गया अपने, अश्रुपूरित नज़रों से तुम्हें देखता ही रहा । तुमने बाहों में भर लिया मुझे । खूब रोया तुम्हारी बाहों में । तरसता रहा इन बाहों के लिए कबसे । वो दिन बहुत ही भावुक था , मेरा तुम्हारा ।
तुम्हारी हाँ सुनने के बाद सातवें आसमान पर था मैं । प्यार हो गया था तुमसे । जानता ही नहीं था ऐसा भी होता है प्यार में, न दिन न रात न सुबह न शाम कुछ नहीं कटता । तुम्हें देखे बिना मैं रह नहीं पाता था । थोड़ी सी भी दूरी सहन नहीं होती थी । हर पल, हर वक़्त बस तेरे संग रहने को तड़पता रहता था । तुम्हारी आवाज़ जैसे मेरा संगीत , कुछ और नहीं सुहाता था । जाने कैसा नशा सा था, बेसब्री , बेहद और बेहताशा इश्क़ ।
तुम डरती थी हमेशा और मैं यकीन दिलाता रहता था तुम्हें, तुमसे अगाध प्रेम करता था । सब कुछ किया तुम्हारे लिए, की तुम इस जीवन को मुझे सौंप दो । दुनिया भर का प्यार कम पड़ जाये इतनी मोहब्बत दिल में लिए था तुम्हारे लिए ।
प्रणय सम्बन्ध में तुम्हीं मुझसे ज्यादा स्नेह करती थी । मुझे ऐसा प्रतीत होता था की ये एहसान है तुम्हारा मुझपर, तुमने मुझे अपने इश्क़ के काबिल समझा । मैं तुम्हारे भरोसे पर हमेशा खरा उतरूंगा ।
साल बीतते गए , हमारा प्रेम प्रगाढ़ होता गया । मुझे विश्वास था, मुझे तुमसे कोई नहीं छीन सकता था । मैं अक्सर प्रियंका अतुल की जीवंत कहानी के बारे में सोचा करता था । प्रियंका कितना खूबसूरत नाम था तुम्हारा । तुमसा कोई कहीं देखा नहीं था , तुम्हारी हर अदा से इश्क़ था मुझे , तुम मुझसे हर बार पूछा करती थी,
“अतुल इतना इश्क़ क्यों ? क्या है मुझमे” तुम्हारी आँखें मुझसे सवाल कर रही होती थी ।
“मेरी नज़रों से देखो तब समझोगी ।” मैं तुम्हें एकटक देखता हुआ तुम्हारे होठों पर अपने होंठ रख देता था ।
किसी से इश्क़ करने का दर्द अलग था, ओर कोई अगर तुमसे इश्क़ करे तो मायने बदल जाते हैं ।
इश्क़ में अकेला सा था मैं । तुम कभी समझ नहीं पायी मुझे, मुझे कोई शिकायत भी नहीं थी तुमसे । पर वागीशा के आने के बाद, जैसे बिना कहे समझ गयी वो मुझे, पढ़ लिया उसने मुझे, भाँप गयी मेरा अकेलापन, प्यार में तबाह हो चुका था मैं, मैं खो गया था तुम्हारे इश्क़ में । भूल बैठा था, मैं खुद भी था कुछ । सब लुटा दिया तुझपर । समझौता कर लिया था दुनिया की हर चीज़ से तुझे पाने की चाह में ।
“अतुल ! सब इंतज़ार कर रहे हैं ।” आवाज़ सुनकर मैंने अपने फ़ोन पर आखिरी बार तुम्हारी तस्वीर देखी ।
तुम्हें याद करते हुए आँखे भर आयी । तुम्हारा फ़ोन लगातार बज रहा था । पत्थर की तरह बैठा था अंतर्द्वंद में पिछले कुछ महीने से । दिल तोड़ चुका था तुम्हारा । जीवन का सबसे कठिन मोड़ था । कैसे छोड़ता तुम्हें ?
बैठा था काले सूट में, अपनी होने वाली पत्नी के इंतज़ार में, रुक जाऊँ अभी भी वक़्त है । तुम्हारे पास आजाऊं । बेचैन था ।नाराज़ था खुद से । निभा नहीं पाया इश्क़।
वागीशा सामने से गुलाबी गाउन में चलते हुए मेरी तरफ आयी, प्यारी सी मुस्कराहट लिए । बला सी खूबसूरत, मैंने उसका हाथ थाम लिया हमेशा के लिए ।आज मेरी सगाई है और तुम मेरी ज़िन्दगी में हमेशा के लिए अतीत बन जाओगी । सोचता हुआ चल पड़ा उसके पीछे । प्यार के जख्मों को भरने के लिए । तुमसे रूठ कर खुद को मनाने के लिए ।