कुछ इस तरह से मिलो हमें तुम, जैसे पन्ने पर हो दस्तखत,
स्याही में मिलकर, रंग दो हमें अपनी नोक से,
मिलान हो ऐसा कलम रुके भी तब, जब हो अक्षत ।
न चले जब, तो झटक कर पूरा करने की हो लालसा,
फ़िर से चले तो अधूरा न रहे, न रहे कोई फासला,
कलम बदल जाये पर न रुके दस्तखत ।
दिल में बस जाओ ऐसे, जैसे हो दस्तखत,
लिखदो कुछ भी सब मान्य हो जाये,
बिना निशान के कोई भी कागज़ काम न आये।
कदर हो ऐसी जैसे कोरे कागज़ पर दस्तखत,
सही मिल जाये तो लाखों अपनायें ,
न चले तो तूफ़ान आ जाये ।
बस जाओ ऐसे दिल में जैसे हो दस्तखत ,
की करो तो बस तुम ही,
तुम्हारे सिवा कोई और कर न पाए ।
मेरी ज़िन्दगी पर कर दो बस अपना हक़ ,
कर दो इस दिल पर अपने प्रेम के दस्तखत ।