ऐसी पथ प्रगति करना,
ऐसी राहें चलना की तुम लोगों के पीछे नहीं,
लोग तुम्हारे नक्शे कदमों पर चलें ।
ज़िंदगी की राहों में,
कठिन परिस्थतियों में भी भूल ना जाना,
अपने ख्वाबों की जड़ें।
याद रखना हमेशा,
क्या तुम्हारे सपने हैं,
क्या तुम करना चाहते थे,
क्या हुआ जो वक़्त नहीं था,
क्या हुआ जो जिम्मेदारियों का बोझ था,
क्या हुआ जो मजबूर थे,
क्या हुआ जो ज़िंदगी के पन्ने रह गए बिन पढ़ें,
क्या हुआ जो कुछ अल्फ़ाज़ रह गए बिन कहे,
ज़िंदगी चिंताओं का संगम है,
अधूरे कर्मों का अध्याय है
लेकिन तुम सब से ऊपर उठना,
अपने सपनों को साकार करना,
अपने अल्फाजों को कलम देना,
रह ना जाना कुछ बिन करे,
ऐसी पथ प्रगति करना,
की दुनियां तुम्हारे नक्शे कदमों पर चले।