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आखिरी साल

कभी गुज़रते हुए लम्हे से गुफ्तग़ु की है अपने?
शायद हाँ।

अगर नहीं तो आज एहसास हो जाएगा,

खोई हुई राहें, आज की ये बातें,
यादों की गलियों में पनाह लेने वाली हैं।

चेहरे खो जाएंगे,
खूबसूरत पल बिखर जाएंगे,
फिर ये पल, कभी न आएंगे।

अनजानी डगर की ओर ,कदम बढ़ जाएंगे,
बीते हुए लम्हे ,यादों की छाँव में गुनगुनाएंगे,
मिलकेे भी हम ,वापस कभी न जा पाएंगे।

मस्ती के क्षण, यारों के रंग।
रूठना मनाना,लड़ना लड़ाना।
हंसना हसाना, खिल्ली उड़ाना।

हज़ारों हसीन लम्हें, यारों के वो सपने,
कभी इसकी, कभी उसकी,
सब ख़त्म हो जाएगा।
वक़्त बीत रहा है और बीतता जाएगा।

ये पल बीतते जायेंगे,
दोस्ती प्यार और मोहब्बत,
चार साल की कहानी बन जाएंगे |

जी लो संग आखिरी लम्हें,
ये लम्हें कल बहुत याद आएंगे।
पलकों में आंसू और यादों के दिलकश नज़ारें रह जाएंगे।

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