pehlimulaqat
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पहली मुलाक़ात

उसे जाते हुए बस में देखता ही रह गया और मैं बस वहीं खड़ा रहा | मैं समझ ही नहीं पाया कि एक पल में अचानक क्या हो गया मैं इतना बेबस कब से हो गया? यह शायद मेरा ही कसूर था कि मेरा दिल आज मेरे हाथों से निकल चुका था | सड़क किनारे खड़ी हुई वह लाल सूट में न जाने मुझ पर ऐसा क्या जादू कर गई, मेरे दिलो-दिमाग पर ऐसी छाई कि मैं होश खो बैठा | कैसी वह कशिश थी, कैसी वह बारिश थी, कैसा मौसम था, कैसा वह समां था | जैसे इश्क़ का अधूरा सा अफ़साना था |